शक्ति का प्रयोग एवं सीमाएँ(Use of power and limitations)
शक्ति का प्रयोग(Use of power) विभिन्न प्रकार की शास्तियों (sanctions) या साधनों के आधार पर किया जाता है; जैसे पुरस्कार, दण्ड, आर्थिक लाभ देना या रोकना, आदि। इन साधनों की मात्रा एवं प्रकार देश, काल तथा संस्कृति विशेष के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। शक्ति का प्रयोग करते हुए पिटाई, जेल, जुर्माना,
अपदस्थीकरण
या अपमान इसमें से किसी भी साधन को अपनाया जा सकता है। इसी प्रकार संस्था पर शक्ति
का प्रयोग करते हुए धमकी या प्रलोभन में से किसी को भी आवश्यकतानुसार चुना जा सकता
है। उदाहरण के लिए,
अमरीका का राष्ट्रपति वहाँ की कॉंग्रेस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए
या तो काँग्रेस सदस्यों एवं उनके अनुयायियों को पदों का प्रलोभन देता है अथवा
विशेष सम्मेलन बुलाने या मतदाताओं से सीधे अपील करने की बात कहता है अथवा विधेयक
विशेष पर निषेधाधिकार के प्रयोग की धमकी देता है। इनमें से एक साधन के असफल रहने
पर दूसरे साधन को अपनाया जा सकता है। सामान्यतया शक्ति प्रयोग में सफलता प्राप्त
होती है, लेकिन कभी-कभी इसमें असफल भी रहना होता है।
किन्तु
शक्ति प्रयोग स्वच्छन्द नहीं होता और उसके ऊपर अनेक प्रतिबन्ध तथा सीमाएँ, आदि
होती हैं। ये सीमाएँ अनेक बातों से सम्बन्ध रखती हैं जैसे इतिहास और परम्पराएँ,
सहमति या स्वीकृति प्राप्त करने की आवश्यकता के तरीके, राजनीतिक विकास का प्रभाव, धर्म, नैतिकता एवं समूहों का दबाव, आदि। शक्ति की सीमाएँ
प्रयोगकर्ता के लक्ष्य एवं उद्देश्यों, उसकी क्षमता, पारस्परिक सम्बन्धों, प्रतियोगिता, कार्य-पद्धतियों और वातावरण सम्बन्धी कारणों, आदि से
भी उत्पन्न होती हैं।
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