राजनीति विज्ञान में शक्ति का दृष्टिकोण(The Power Approach in Political Science)

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 राजनीति विज्ञान में शक्ति का दृष्टिकोण(The Power Approach in Political Science)


राजनीति विज्ञान के अध्ययन का एक प्रमुख उद्देश्य यह जानना होता है(One of the main objectives of the study of political science is to know this.)  कि शक्ति किसके हाथ में है और उसका प्रयोग किस प्रकार किया जा रहा है। इसी कारण वर्तमान समय के राजनीतिक विचारक राज्य के विचार को अभिव्यक्त करने की अपेक्षा शक्ति की धारणा व्यक्त करने में अधिक रुचि ले रहे हैं। वस्तुतः शक्ति राजनीतिक अनुसन्धान का हृदय है और इसका स्पष्ट लाभ यह है कि इसके द्वारा दूसरों को प्रभावित करने वाली क्रिया को समझा जा सकता है, लेकिन कुछ समय पूर्व तक शक्ति के विचार को राजनीतिक अध्ययन में उचित स्थान प्राप्त न था। प्राचीन काल में शक्ति की धारणा को असीमित या निरंकुश शक्ति से सम्बद्ध समझा जाता था और इसी कारण इसके प्रति सन्देह उत्पन्न होना नितान्त स्वाभाविक था।

वर्तमान समय में शक्ति की धारणा ने पर्याप्त महत्व और लोकप्रियता प्राप्त कर ली है और जार्ज केटलिन तथा हेरल्ड डी. लासवेल ने इस धारणा पर विस्तार से विचार व्यक्त किये हैं। लासवेल वर्तमान युग का सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं प्रभावशाली शक्ति शोधकर्ता है।

जार्ज कैटलिन के विचार(Thoughts of George Caitlin)राजनीति शास्त्र में जार्ज कैटलिन वह प्रथम व्यक्ति था, जिसने शक्ति को केन्द्र बिन्दु बनाकर व्यवस्थित सिद्धान्त अथवा संकल्पनात्मक संरचना का विकास किया। जार्ज केटलिन ने शक्ति को राजनीतिक जीवन का प्राथमिक तत्व माना है। केटलिन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में अपनी कामनाओं को पूरा करने की इच्छा होती है और यही इच्छा उसके समस्त कार्यों का आधार है। अपनी इच्छा लागू करने के लिए अन्य लोगों की इच्छाओं को नियन्त्रित करना आवश्यक हो जाता है और व्यक्ति जब इस दिशा में चेष्टा करता है, तभी शक्ति या संघर्ष के तत्व का उदय हो जाता है।

शक्ति का अध्ययन पूर्ण रूप से यह स्पष्ट नहीं करता कि सरकार समाज को किस प्रकार नियन्त्रित करती है अथवा व्यवस्था की स्थापना कैसे करती है, वरन् इसके द्वारा इस व्यापक समस्या पर विचार किया जाता है कि एक व्यक्ति या समूह दूसरों की इच्छाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है। केटलिन का विचार है कि "इच्छाओं के संघर्ष को राजनीति विज्ञान का आधार बनाया जाय, तो राजनीति विज्ञान की शेष विषय-वस्तु स्वयं ही स्पष्ट हो जायेगी।"

लासवेल के विचार-शक्ति की अवधारणा(Laswell's concept of thought-power)  का सबसे विस्तृत विश्लेषण हमें लासवेल और कैपलान की रचनाओं में मिलता है। यद्यपि केटलिन और लासवेल दोनों ही विचारक शक्ति पर जोर देने के सम्बन्ध में एकमत हैं, लेकिन लासवेल ने राजनीति के अध्ययन को केटलिन की अपेक्षा कुछ व्यापक दृष्टि से देखा है और इसलिए उनके निष्कर्ष भी भिन्न प्रकार के हैं।

लासवेल का विचार है कि राजनीति विज्ञान मूल रूप से एक शक्ति प्रक्रिया नहीं है, वरन् यह समाज के मूल्यों की स्थिति एवं बनावट में परिवर्तन का अध्ययन है, अतः राजनीति विज्ञान में शक्ति एवं मूल्य दोनों का ही अध्ययन किया जाना चाहिए और इन दोनों की परस्पर-निर्भरता को भी स्पष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी पुस्तक 'कौन, कब, क्या, कैसे प्राप्त करता है' (Who gets, What, When and How) में स्पष्ट किया है कि उच्च राजनीतिक वर्ग के पास जो शक्ति होती है, उसका स्रोत क्या होता है ? यह पुस्तक मुख्य रूप से उन साधनों का वर्णन करती है, जिसके माध्यम से उच्च वर्ग के लोग शक्ति के पद

पर पहुँचते हैं और कायम रहते हैं तथा अपनी सुरक्षा, आय और आदर को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यदि हम राजनीतिक विचार को बदलते हुए मूल्यों के रूप का अध्ययन मानें तो लासवेल की यह पुस्तक सम्पूर्ण प्रक्रिया के केवल एक छोटे भाग मात्र को अभिव्यक्त करने वाली समझी जायगी। अनेक विचारकों ने लासवेल की धारणा को एक संकीर्ण विचारधारा माना है, क्योंकि इनके आधार पर लासवेल ने राजनीति विज्ञान की सम्पूर्ण विषय-वस्तु को शक्ति के लिए संघर्ष मान लिया है। इसके बाद लासवेल की एक अन्य पुस्तक 'शक्ति और समाज' (Power and Society) प्रकाशित हुई और इस पुस्तक में उन्होंने मूल्यों के वितरण को भी राजनीति विज्ञान के अध्ययन में सम्मिलित कर लिया।

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