सत्ता ( प्राधिकार)
Power (Authority)
“सत्ता शक्ति के प्रयोग का
संस्थात्मक अधिकार है, वह स्वयं शक्ति नहीं है । " -बायर्सटेड
"Power is the institutional right to exercise power, it is not power itself.
-Byersted
राजनीति में सत्ता की भूमिका
The Role of Power in Politics
सत्ता को राज व्यवस्था रूपी 'शरीर की आत्मा' कहा जा सकता है।(Power can
be called the 'soul of the body' in the form of a polity.) यह शक्ति, प्रभाव और नेतृत्व का मूल
उपकरण है और नीति निर्माण, समन्वय, अनुशासन और प्रत्यायोजन (delegation), आदि राजनीतिक प्रक्रियाएँ सत्ता के आधार पर ही सम्भव
होती हैं। औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही प्रकार के संगठनों में सत्ता को
महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त होती है और राजनीतिक जीवन में सत्ता की अवहेलना नहीं की
जा सकती। कोई व्यक्ति या व्यक्ति-समूह
बिना औपचारिक सत्ता के होते हुए भी एक विशेष परिस्थिति में सत्ता धारण किये रह
सकता है। लोकतन्त्र में सत्ता का अधीनस्थों अर्थात् जनता के द्वारा स्वीकृत किया
जाना महत्वपूर्ण होता है। राज व्यवस्थाओं एवं राजनीति में सत्ता की मात्रा को
बढ़ाना आवश्यक तथा महत्वपूर्ण होता है, राजनीतिक लक्ष्यों की सिद्धि
इसी से सम्बन्धित होती है और बहुत अधिक सीमा तक इसी पर निर्भर करती है।
सत्ता की अवधारणा : अर्थ एवं व्याख्या
Concept of Power : Meaning and Interpretation
समाज विज्ञानों के अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञान कोश के अनुसार सत्ता को कई
प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। सत्ता की अनेक व्याख्याएँ की गयी हैं, किन्तु अपने सभी रूपों में सत्ता शक्ति, प्रभाव एवं नेतृत्व से जुड़ी हुई है। सत्ता की कुछ परिभाषाएं
इस प्रकार हैं
बायर्सटेड(Byersted) 'सत्ता शक्ति के प्रयोग का
संस्थात्मक अधिकार है, वह स्वयं शक्ति नहीं है । '
बीच (Beach) के अनुसार, “दूसरों के कार्य निष्पादन को
प्रभावित या निर्देशित करने का औचित्यपूर्ण अधिकार सत्ता है।"
हेनरी फेयोल(Henry Fayol) के
अनुसार, “सत्ता आदेश देने का अधिकार और आदेश
का पालन करवाने की शक्ति
ऐलन के अनुसार(According to Allen), “सौंपे गये कार्यों के निष्पादन
को सम्भव बनाने हेतु प्रदान की गई शक्तियां एवं अधिकार सत्ता कहलाते हैं।”
थियो हैमेन(Theo Hammen)- ने
सत्ता की परिभाषा कुछ अधिक स्पष्टता के साथ ही है । उनके अनुसार, “सत्ता वह वैधानिक शक्ति है जिसके आधार पर अधीनस्थों को काम
करने के लिए कहा जाता है तथा उन्हें बाध्य किया जा सकता है और आदेश के उल्लंघन पर
आवश्यकतानुसार प्रबन्धक उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता है। यहां तक
कि उनको कार्य से भी पृथक् कर सकता है।"
उपर्युक्त सभी विद्वानों ने सत्ता को निर्णय लेने आदेश देने और आदेश का
पालन कराने वाली उच्च स्तरीय शक्ति के रूप में परिभाषित किया है। इन सभी परिभाषाओं
में सत्ता के औपचारिक पक्ष को या मात्र कानूनी पक्ष को ही दृष्टि में रखा गया है
तथा इस प्रकार ये परिभाषाएं सत्ता के केवल एक ही पक्ष को स्पष्ट करती हैं। सत्ता
आदेश देने वाली उच्चस्तरीय शक्ति है. लेकिन
केवल इस स्थिति के कारण ही सत्ताधारी के आदेशों का पालन नहीं होता है। आदेशों के
पालन का एक आधार अधीनस्थ अथवा जिन्हें निर्देश दिए जाते हैं, उनकी सहमति होता है। अधीनस्थ जब इस बात को स्वीकार करते हैं
कि आदेशों का स्त्रोत सही या उचित है, तब ही आदेश देने वाले
अधिकारी को 'प्राधिकारी' (सत्ताधारी)['Authority' (ruling)]
कहा जाता है। सत्ता शक्ति के समान ‘शास्तियों’ (Sanctions) के आधार पर नहीं अपितु उचित
होने के कारण दूसरों के व्यवहार को अपने अनुकूल बनाकर प्रभावित करने का साधन है।
यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, “सत्ता वह शक्ति है जो कि
स्वीकृत, सम्मानित, ज्ञात एवं औचित्यपूर्ण हो ।”(Power is the power which is accepted, respected, known and justified.)
मेरी पार्कर फॉलेट, चेस्टर बर्नार्ड और साइमन,(Mary Parker Follett, Chester Bernard and Simon) आदि विद्वान जिनके द्वारा व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक पक्ष को
दृष्टि में रखते हुए सत्ता की व्याख्या की गई है, वे
सत्ता के प्रसंग में औचित्य तथा अधीनस्थों की सहमति को अधिक महत्व देते हैं। इन
विद्वानों के अनुसार सत्ता आदेश देने वाली उच्च स्तरीय शक्ति और आदेशों का पालन
करने वाले अधीनस्थों के बीच सहमति पर आधारित सम्बन्धों को जन्म देती है। इस दृष्टि
से साइमन की परिभाषा अधिक महत्वपूर्ण है। उसके अनुसार, “अधिकार सत्ता'(Power of authority), निर्णय लेने एवं अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं को मार्गदर्शित
करने की शक्ति है। यह दो व्यक्तियों के बीच उच्चाधिकारी एवं अधीनस्थ का सम्बन्ध
है। उच्चाधिकारी निर्णय लेता है और आशा करता है कि अधीनस्थ द्वारा उसका पालन किया
जाएगा। अधीनस्थ ऐसे ही निर्णयों की आशा करते हैं और उनके व्यवहार इन निर्णयों से
निर्धारित होते हैं।”
इस प्रकार सत्ता के दो पक्ष हैं(Thus there are two sides to power.) : प्रथम, निर्णय लेने और आदेश देने वाली उच्च शक्ति तथा द्वितीय, उच्च शक्ति को प्राप्त अधीनस्थों की सहमति । इन दोनों तत्वों
को दृष्टि में रखते हुए अपने शब्दों में सत्ता को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता
है :
“अधिकार-सत्ता,(Power of authority) निर्णय लेने, आदेश देने तथा उनका पालन
करवाने की वह शक्ति, स्थिति या अधिकार है, जिसे अधीनस्थों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है और संगठनात्मक
लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अधीनस्थों द्वारा जिसका पालन आवश्यक होता है।'
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