सत्ता के स्त्रोत या सत्ता के प्रकार(Sources of power or types of power)

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 सत्ता के स्त्रोत या सत्ता के प्रकार(Sources of power or types of power)

सत्ता के स्त्रोत या सत्ता के प्रकार(Sources of power or types of power)
सत्ता की अवधारणा की विवेचना सुकरात, प्लेटो, ऑगस्टाइन, आदि के समय से होती रही है, किन्तु इसकी विस्तृत विवेचना बीसवीं सदी में राजनीतिक और समाजशास्त्रीय विश्लेषक मैक्स वेबर द्वारा प्रस्तुत की गयी है। सत्ता एवं औचित्यपूर्णता का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है और मैक्स वेबर ने इस सम्बन्ध को दृष्टि में रखते हुए औचित्यपूर्णता के आधार पर सत्ता के स्रोतों एवं प्रकारों का वर्णन किया है। उसके अनुसार अपने स्रोत के आधार पर सत्ता तीन प्रकार की होती है :

The concept of power has been discussed since the time of Socrates, Plato, Augustine, etc.,   but its detailed explanation has been presented in the twentieth century by the political and sociological analyst Max Weber.  Power and justification are closely related, and Max Weber has described the sources and types of power based on justification in this regard. According to him, there are three types of power based on its source:

 

(1) परम्परागत (Traditional)जब प्रजा या अधीनस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को इस आधार पर स्वीकार करते हैं कि ऐसा सदैव से होता आया है, तो सत्ता का यह प्रकार परम्परागत कहा जायगा। इस प्रकार परम्परागत सत्ता का अभिप्राय शासन के उस अधिकार से है जो राजनीतिक शक्ति के अनवरत प्रयोग से उभरता है। इस प्रकार की सत्ता में 'प्रत्यायोजन' (delegation) मात्र अस्थायी रूप से किया जाता और पूर्ण रूप से सर्वोच्च सत्ताधारी की इच्छा पर निर्भर करता है। अधीनस्थ सेवक समझे जाते हैं और वे आज्ञापालन परम्पराओं के प्रतीक विशेष व्यक्ति के कारण करते हैं, जैसे, राजतन्त्र में राजा ।

(2) बौद्धिक कानूनी या वैधानिक नौकरशाही सत्ता ( Rational Legal or Legal Bureaucratic Authority)जब अधीनस्थ किसी नियम को इस आधार पर स्वीकार करते हैं कि वह नियम उन उच्चस्तरीय अमूर्त नियमों के साथ सम्मत है जिसे वे औचित्यपूर्ण समझते हैं, तब इस स्थिति में सत्ता को बौद्धिक-कानूनी माना जाता है। यह सत्ता संवैधानिक नियमों के अन्तर्गत धारण किये गये पद से प्राप्त होती है। अमरीका में जब राष्ट्रपति पद का कोई उम्मीदवार निर्वाचक मण्डल का बहुमत प्राप्त कर लेता है अथवा जब भारत में लोकसभा के बहुमत सदस्य किसी को अपना नेता निर्वाचित कर उसे प्रधानमन्त्री पद पर प्रतिष्ठित कर देते हैं, तब यह सत्ता का बौद्धिक-तार्किक आधार ही होता है। इसमें सत्ता का प्रत्यायोजन बौद्धिक आधार पर किया जाता है, और कर्मचारीगण वैधानिक रूप से स्थापित निर्वैयक्तिक आदेशों के आधार पर आज्ञापालन करते हैं। सत्ता का यह रूप आधुनिक नौकरशाही को अपने विशुद्ध रूप में प्रकट करता है।

(3) करिश्मात्मक सत्ता (Charismatic Authority)जब अधीनस्थ वरिष्ठ सत्ताधारी के आदेशों को इस आधार पर न्यायसंगत मानते हैं कि उन पर सत्ताधारी का व्यक्तिगत प्रभाव है, तब इसे करिश्मात्मक सत्ता कहते हैं। इस सत्ता स्थिति में प्राय: कोई प्रत्यायोजन नहीं होता और अधीनस्थ कर्मचारी सत्ताधारी के व्यक्तिगत सेवक के रूप में आचरण करते हैं। अधीनस्थ अनुयायी होते हैं और अपने प्रिय नेता के करिश्माती एवं आदर्शवादी व्यक्तित्व के कारण उसके आदेशों का पालन करते हैं। स्पष्टतया मैक्स वेबर केवल औचित्यपूर्ण सत्ता का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। मैक्स वेबर बतलाता है कि बौद्धिक-कानूनी सत्ता कमजोर एवं भंजनशील होती है, अतः उसे सबलता प्रदान करने के लिए उसमें परम्परागत एवं करिश्माती तत्वों को शामिल किया जाना चाहिए।

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